इस सॉफ्टवेयर के उपयोग से शहरी यातायात नियंत्रण पर कंट्रोल करने और ई-रिक्शा को जोन के हिसाब से चलने की अनुमति प्रदान की गयी है । इसके माध्यम से ई-रिक्शा मालिक ऑनलाइन अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं ।
ये सॉफ्टवेयर एक क्यूआर कोड के माध्यम से ई-रिक्शा के मालिक और चालक के डिटेल के साथ उसे किस जोन पर चलना है ये निर्धारित करता है ।
जोन निर्धारित होने और क्यूआर कोड होने से पुलिस प्रशासन को यातायात के साथ ही अपराध पर भी नियंत्रण करना आसान हो गया है ।
क्यूआर कोड में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन नंबर, मालिक का विवरण, चालक का विवरण, जोन निर्धारित होते हैं इसके साथ क्यूआर कोड को कलर भी प्रदान किया गया है ।
इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से सिर्फ वही ई-रिक्शा मालिक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं , जो कि RTO में रजिस्टर्ड है ।
मालिक चालक के विवरण को अपडेट कर सकते हैं ।
रजिस्ट्रेशन के आधार पर ई-रिक्शा आवेदक का अनुमोदन होगा ।
प्रक्रिया:
वाहन आवेदन
आवेदन यथा स्थिति/क्यू0आर0 कोड
आवेदन पत्र संशोधन
चालक को पंजीकृत करें
चालक का पंजीकरण रद्द करें
आवेदन पत्र संशोधन – केवल वही आवेदन संशोधित किये जा सकते हैं जिनको SMS गया है।
मुख्य विशेषता:
महिला सुरक्षा में अहम योगदान, यात्री क्यूआर कोड को अपने मोबाइल से स्कैन करके रिक्शा मालिक और चालक की पूरी जानकारी प्राप्त करनी भी संभव है। इस डिटेल को शेयर भी किया जा सकता है।
डिजिटल इंडिया के प्रोत्साहन की दिशा में एक कदम ।
रजिस्ट्रेशन के आधार पर ई-रिक्शा आवेदक का अनुमोदन होगा ।
क्षेत्र और मार्ग निर्धरित होने से यातायत में सुगमता ।
जोन निर्धारित होने और क्यूआर कोड होने से पुलिस प्रशासन को यातायात के साथ ही अपराध पर भी नियंत्रण करना आसान हो गया है ।
इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से सिर्फ वही ई-रिक्शा मालिक रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं, जो कि त्ज्व् में रजिस्टर्ड है ।
फर्जी ई रिक्शा पर नकेल ।
यात्रियों को आगमन में सुगमता ।
पुलिस प्रशासन को ई-रिक्शा संचालन का डिजिटली नियंत्रण ।
१८ वर्ष से काम आयु के ड्राइवर रजिस्टर नहीं कर सकते ।
दुर्घटना के समय ड्राइवर के लाइसेंस के कई फायदे होते हैं:
कानूनी सुरक्षा: ड्राइविंग लाइसेंस होने से यह साबित होता है कि ड्राइवर ने वाहन चलाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और परीक्षा पास की हैए जिससे उसकी जिम्मेदारी और कानूनी स्थिति मजबूत होती है।
बीमा कवरेज: यदि दुर्घटना होती हैए तो बीमा कंपनी के लिए ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी होता है ताकि आप बीमा क्लेम का लाभ उठा सकें। लाइसेंस के बिना बीमा कवरेज में समस्या आ सकती है।
दुर्घटना की जांच में सहूलियत: दुर्घटना के समयए पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों के लिए लाइसेंस देखना महत्वपूर्ण होता हैए जिससे दुर्घटना की जिम्मेदारी और स्थिति का सही आकलन किया जा सके।
परिणामों से बचाव: लाइसेंस के माध्यम से यह प्रमाणित होता है कि आप कानूनी रूप से वाहन चला रहे थे। इससे आपको अनधिकृत ड्राइविंग के आरोप से बचने में मदद मिलती है।
दुर्घटना के बाद के कदम: लाइसेंस के साथए आप अधिकतर स्थानों पर आसानी से सहायता प्राप्त कर सकते हैंए जैसे कि पुलिस या एंबुलेंस बुलाना।
इन सब कारणों सेए ड्राइवर का लाइसेंस दुर्घटना के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रिक्शा के संचालन को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
1.चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: विभिन्न स्थानों पर चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करें ताकि चालकों को आसानी से ई-रिक्शा चार्ज करने की सुविधा मिले।
2.ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन: चालकों को उचित ट्रेनिंग प्रदान करें, जिसमें सुरक्षा नियम, ग्राहक सेवा और वाहन रखरखाव शामिल हों।
3.सुरक्षा मानकों का पालन: ई-रिक्शा की नियमित जांच और मेंटेनेंस सुनिश्चित करें, ताकि वाहन सुरक्षित और प्रभावी रूप से चल सकें।
4.सहयोगी नीतियाँ: सरकार और स्थानीय प्राधिकरणों के साथ सहयोग करें ताकि ई-रिक्शा के लिए नियम और नीतियाँ स्पष्ट हों और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इन उपायों को अपनाने से ई-रिक्शा के संचालन को बेहतर बनाया जा सकता है, जिससे यात्रियों और चालकों दोनों के लिए एक बेहतर अनुभव सुनिश्चित हो सकेगा।
प्रक्रिया:
आवेदन पत्र संशोधन – केवल वही आवेदन संशोधित किये जा सकते हैं जिनको SMS गया है।
मुख्य विशेषता:
दुर्घटना के समय ड्राइवर के लाइसेंस के कई फायदे होते हैं:
इन सब कारणों सेए ड्राइवर का लाइसेंस दुर्घटना के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
रिक्शा के संचालन को बेहतर बनाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
1.चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: विभिन्न स्थानों पर चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना करें ताकि चालकों को आसानी से ई-रिक्शा चार्ज करने की सुविधा मिले।
2.ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन: चालकों को उचित ट्रेनिंग प्रदान करें, जिसमें सुरक्षा नियम, ग्राहक सेवा और वाहन रखरखाव शामिल हों।
3.सुरक्षा मानकों का पालन: ई-रिक्शा की नियमित जांच और मेंटेनेंस सुनिश्चित करें, ताकि वाहन सुरक्षित और प्रभावी रूप से चल सकें।
4.सहयोगी नीतियाँ: सरकार और स्थानीय प्राधिकरणों के साथ सहयोग करें ताकि ई-रिक्शा के लिए नियम और नीतियाँ स्पष्ट हों और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
इन उपायों को अपनाने से ई-रिक्शा के संचालन को बेहतर बनाया जा सकता है, जिससे यात्रियों और चालकों दोनों के लिए एक बेहतर अनुभव सुनिश्चित हो सकेगा।
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